R.I.P SSR : Let's Stop the 'CIRCUS' on TV




एक खास व्यक्ति की मौत देश के समाचार चैनलों को सर्कस में तब्दील कर सकती है इसका जीता जागता उदाहरण है , भारत. 

पिछले दो महीनो से ज़्यादा वक़्त से जिस तरह का सर्कस चल रहा है देश में उससे यही प्रतीत होता है की किसी की मौत हुयी है उसकी चिंता कम पर अपने TRP की चिंता सभी समाचार चैनल को है।  जिस तरह से सुशांत सिंह राजपूत के मौत का तमाशा बनाया जा रहा है हर दिन ऐसा लगता है की 'मौत का सौदा' नाम से किसी वेब सीरीज का प्रसारण चल रहा हो। 

देश के मुद्दे गौण हैं , NEET और JEE की परीक्षा पे संदेह बना हुआ है पर इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं , आधा देश बाढ़ की चपेट में है है बारिश से बेहाल है पर ये सब सिर्फ सुर्ख़ियों तक ही सीमित है , हर दिन NEWS STUDIOS में इस बात की चिल्लम चिल्लाई होती है किसने कितनी TRP कमाई है मौत का तमाशा बनाकर। 

इस देश में १३० करोड़ से ज़्यादा लोग निवास करते हैं , और समस्या भी अनगिनत हैं।  अगर कोई देश में बाढ़ की स्तिथि देख ले और उससे होनेवाले नुक्सान को तो मानो लगेगा की भारत और इंडिया दो अलग अलग देश हैं जिसके मुद्दे भी अलग अलग हैं।  कभी आपने सुना है की twitter पे देश में आये FLOOD के ऊपर कोई हैशटैग ने TREND किया हो।  शायद नहीं  क्यूंकि इसपे  बात करने से कोई LIKE नहीं करेगा वैसे भी गाँव और गरीब को कौन जानना चाहता है.

यहाँ तो बस सभी लगे हुए हैं की किसने रिया का इंटरव्यू किया है और इसे कितना ऐक्सक्लूसिव बना के पडोसा जा सकता है।  पिछले कुछ दिनों से कोरोना की क्या भयावह स्तिथि देश में बानी हुयी है उसपे कोई चर्चा नहीं होती या सिर्फ सुर्खियां पडोसी जाती हैं जहां ५ मिनट में 50 खबरें होती हैं आप की आँखे अगर 1 सेकंड की लिए भी इधर उधर हुईं नहीं की खबर गायब। पाखंडों को अपने पाखंड दिखने का भी अवसर मिल रहा है , राजदीप सरदेसाई जैसे पखंडी पत्रकार जो कल तक ये कह रहे थे की सुशांत सिंह राजपूत कोई बड़ा स्टार नहीं इसीलिए उसे उतनी coverage नहीं मिलनी चाहिए आज दिल्ली से मुंबई पहुँचते हैं रिया का इंटरव्यू लेने और महाराष्ट्र सर्कार का पाखंड देखिये उन्होंने राजदीप को क्वारंटाइन नहीं किया जबकि बिहार से आये एक investigation officer जो की अपना काम करने आये थे मौत की जाँच के लिए उसे क्वारंटाइन कर दिया। 

इस ब्लॉग से पहले भी मैंने २ और ब्लॉग लिखे हैं सुशांत की मौत के ऊपर और मुझे ऐसा  तमाशा बंद होना चाहिए , जब केस  CBI  को सौंपी जा चुकी है फिर हमे सिर्फ फैसले और उनके निर्णय का इंतजार करना चाहिए और यकीन मानिये देश में इससे भी की गुना ज़्यादा महत्वपूर्ण मुद्दे हैं दिखने के लिए।  

सुशांत की मौत ने कई सवाल छोड़े हैं और हमें काफी हद तक फिल्म उद्योग के चेहरे की असलियत दिखी है।  और इसपे चर्चा होनी चाहिए पर २४ घंटे तक किसी के मौत का तमाशा बनाना और हर दिन क्सिसि को गुनेहगार बना देना फिर अलग अलग कहानी बनाना बंद करना चाहिए।  शायद समय आ गया जब ये कानून भी बनना चाहिए की दर्शक के ऊपर NEWS  थोपा नहीं जाना चाहिए और दर्शक जिस खबर को देखना चाहते हैं उन्हें वह देखने का हक़ मिले और TV NEWS चैनल्स की DICTATORSHIP बंद होना चाहिए। 


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